िरयल चीट वाइफ कहानी म पढ़ िक मने अपनी पड़ोसन और उसके पित की चदाई देखी तो
उसके पित से चदाई का मजा लेने का मन बना िलया. जैसे मने गैर मद के लंड का मजा
िलया, आप कहानी का मजा ल .
कहानी के िपछले भाग
सहेली के पित के लंड का मजा लेने की लालसा
म आपने पढ़ा िक मने अपनी जवान पड़ोसन और सहेली को उसके पित से जोरदार चदाई
का मजा लेती देखा. उसके बाद म अपने पित से चदी.
पर मेरे मन म अब सहेली के पित के साथ सेस करने की इछा बलवती हो उठी थी.
यह कहानी सन .
Real Cheat Wife Kahani
अब आगे िरयल चीट वाइफ कहानी:
करीब एक महीने के इंतज़ार के बाद अलका के मायके जाने का ोगाम तय हआ और वो भी
करीब दस िदन का
अलका और मेरी दोती एक अलग ही लेबल पे चली गई थी तो उसने सिचन के खाने और
घर की िजमेदारी सब मेरे ऊपर डाल दी.
म- अलका तने घर की और खाने की िजमेदार तो मझे दे दी. अब पित भी दे दो िजससे
उसको रात म तेरी कमी ना खले
अलका हंस कर- दीदी देख लेना, कहीं आपकी चत का बजा ना बज जाये और म भी कहीं
जीजा से चत चटवा लँ
म- देख बरा मत मानना अगर म तेरे पित का लड रोज़ चस दँ तो
अलका- म य बरा मानंगी. मझे भी बदले जब मेरी चत चसने वाला जीजा िमल रहा है.
अलका के जाने वाले से िदन से ही मने तीन िदन अपनी काम वाली को छटटी दे दी िजससे
मझे िकसी तरह की कावट का सामना न करना पड़े,
मद तो साले मद ही होते ह, जहाँ चत देखी … लग जाते है उसको चोदने की िफ़राक म
बस एक हके से इशारे का इंतज़ार होता है लड़की से
इस बात को म अछे से समझती थी.
बस सिचन को थोड़ा उकसाना था और िफर वो मद बन के मझे चोद डालेगा यिक कई
बार मने उसकी आँख म वासना देखी थी मेरे िलए
मने अपने िजम को फल वैस करा के चत िचकनी कर ली थी.
अलका के जाने के िदन सिचन ने आधे िदन की छटटी ले रखी थी.
भरी दोपहर को जब वह अलका को छोड़ कर लौटा तो मने उसे कहा िक ेश होकर खाना
खाने आ जाये.
मने एक टाइट शाट पहन ली िजसम मेरे चतड़ कहो या गांड … उभर के िदखती थी.
साथ ही पटी लाइन भी साफ िदखती थी, मेरी टांग , जांघ सब िदखती थी.
साथ ही मने गहरे गले की पतली सी सफ़ेद टीशट डाल ली िजसके अंदर काली बा साफ
नजर आ रही थी.
हठ पर मने भड़कीली लाल रंग की िलपिटक लगा ली.
सिचन भी नहा के लंगी और बिनयान म ही मेरे घर आ गया.
उसने जब मझे देखा तो उसका मँह खला के खला रह गया.
उसकी आंख की चमक बता रही थी िक वह मझे चोदने की मंशा रख रहा है.
इधर उसकी मसल मझे गीली करने के िलए बहत थी.
उसको पटाने के िलए बहत िघसािपटा फामला मने अपनाया.
जब सिचन खाना खाकर रसोई के पास हाथ धो रहा था तब म रसोई से चीखती हई आई
और उससे िलपट गई.
और मने इस बात का याल रखा िक मेरी चिचयां भरपर उसके सीने सट जाय .
सिचन ने भी अकबका कर मझे जोर से पकड़ िलया.
म बोली- िछपकली है वहां पर
तो वह हंसने लगा और बोला- हटो, म भगा देता हँ.
पर म उससे और सट गई.
मेरे बदन की खशब और मेरी चची की गमी से सिचन भी नहीं बचा.
वह मझे एकटक देख रहा था तो मने उसको आंख मार दी मकराते हए
अब तो सिचन को सब समझ म आने लगा, वह भी जोश म गया.
सिचन मेरी पीठ सहलाने लगा तो म और उससे िचपक गई, उसके सीने पे हाथ िफराने लगी
और उसके गाल को चम िलया.
अब कछ कहने या समझने की गंजाईश ही नहीं थी.
मेरा महीन से देखा जाने वाला सपना परा होने वाला था.
मेरे चमते ही सिचन का अंदर का मद जग गया, उसने भी मेरे हठ को चम िलया.
मने भी उसका साथ िदया तो दोन ही पागल के तरह एक दसरे को चमने लगे.
म- अंदर चल
सिचन ने मझे गोद म उठाया और बैडम ले जाकर िबतर पर उछाल िदया और अपनी
बिनयान और लंगी उतार कर मेरे ऊपर छा गया.
उसका भारी भरकम िजम म मेरा नाजक िजम दब गया.
एक दसरे को चमते मसलते उसने मेरी टीशट, बा-पटी सब िनकाल कर फक दी, अपना भी
जॉकी साथ ही िनकाल कर फक िदया.
म उसके सामने नंगी लेटी थी और वह मेरे यौवन को नज़र म बसा लेना चाहता था.
मेरी नज़र जब उसकी जांघ के बीच लटकते फंफकारते काले मोटे लड पे गई तो मेरा
िजम कामातर हो गया.
सारी शमोहया छोड़कर म उस पर झपट पड़ी और लड को दोन हाथ से पकड़ के उसकी
गमाहट को महहस करके उस पर अपने गाल फे रने लगी.
गहरे लाल रंग का सपारा मेरी चत गीली करने के िलए काफी था.
मेरे मँह से िनकल पड़ा- वाह यार, िकतना मोटा और गम है
और मने उसे मँह म भर िलया.
सिचन तो िकलकारी भर के रह गया- उफ आआह होह
सपारा ही मेरे मँह म मिकल से जा रहा था, परा लंड तो म ले ही नहीं पा रही थी अंदर
सिचन आवाज िनकल रहा था- उफ हहहह … उह … उहऊ … ऊऊ … उह … उहऊ …
आह … आह … आह आह … हाय … हाय बस
म सटासट लड का सपारा चसे जा रही थी.
सिचन भी मेरे बाल को पकड़ के मेरे मँह को चत समझ के चोद रहा था- ओहह िशखा …
या चसती ह आप … काश अलका भी ऐसे ही चसती
म- आप य परेशान हो रहे हो. म हँ ना चसने के िलए … आपका जब िदल करे, म चस
दंगी
सिचन- हॉ आँ … तमसे ही रोज़ चसवाऊँगा. बस चसती रहो िशखा आज पहली बार
चसवाने का परा आनद िमला है … उफ यह अहा
इधर मेरी चत तो झड़ चकी थी.
उेज़ना म मेरी चत उसके लड के इंतज़ार म कलबलाने लगी.
पर सिचन मेरे मँह से लड िनकलने को तैयार ही नहीं था.
म भी समझ गई िक इसका मड मेरे मँह म वीयपात करने का है.
मने भी मड बना िलया.
मेरा मँह लड की गमाहट से जला जा रहा था.
कभी म गम जीभ सपारे पर िफराती तो कभी उसकी गोटी को मँह म भर कर चसती.
वहबोल रहा था- ओहह िशखा … उफ उफ आह आह िशखा … िशखा हाँ ऐसे ही चसो.
तमने मेरा िदल खश कर िदया
मेरा मँह दद करने लगा था, िफर भी वासना के नशे म लंड चसती रही.
थोड़ी देर मेरा मँह ढेर सारे वीय से भर गया.
सिचन ने मेरे सर को पकड़ कर ऐसे दबा कर रखा था िक जब तक सारा रस पी नहीं गई, तब
तक िनकलने नहीं िदया अपना लड
मेरे मँह से वीय की सफ़ेद धार बह रही थी.
कछ देर बाद उसने अपना लंड मेरे मख से िनकाला और मेरे हठ चसने लगा, साथ ही चस
चस के वह अपने ही लंडरस को चाट गया.
पर मेरी चत म तो खजली मची थी, मझे उसके मोटे लड को अपनी चत म लेना था.
और वह आराम से आंख बंद कर बेड पर लेटा था.
तो म उसके ऊपर जा के लेट गई और उसके िनपल को चसने लगी, कभी दांत से िनपल
को काट लेती तो वह आअह करके रह जाता.
कभी म उसकी गदन तो कभी कान की लौ पर काट लेती.
तो कभी अपनी गम साँस उसके ऊपर छोड़ देती.
मेरी चत उसके लड से रगड़ रही थी.
कछ ही पल म लड ने वप बदलना श कर िदया.
सिचन- आआ आआहआ ऊऊऊ अहहाहा म्
म उसके परे िजम को चाटते हए नीचे सरक के लड को चसने लगी. कभी उसके लड को
फ टती तो साथ म उसकी गोटी की मँह म भर कर चसती.
जब म उसके लड की चमड़ी नीचे कर के उसके सपारे पर जब जीभ फे रती तो वह कसमसा
जाता- आआ ह आमाह हाह आआआ शशह … अअ … उह … अहह … हय …
याह
उसका लड तैयार था, मेरी चत भी गीली थी.
म उठी और लड को चत पे सेट िकया.
और जब तक म संभलती, सिचन ने मेरी कमर पकड़ के नीचे मझे दबा िदया, साथ ही साथ
अपने चतड़ भी ऊपर उछाल िदए िजससे उसका लड मेरे अंदर एक बार म ही घस गया.
‘अहहह … हह … उईई … ईई माआआ … माआआ … मर गईइई … आआआअ …
ऊऊऊ … उह … ओहह … आआ ऐईई ईई … आआअहह … उयय’
मने इतना मोटा लड तो पहली बार िलया था तो ऐसा लगा लड हलक तक आ गया.
मेरी भी चीख िनकल गई- साला मादरचोद हरामी
गाली भी िनकल गई.
मेरी चत फ़ैल गई थी. चत ने एक बार म ही पानी छोड़ िदया.
सिचन थोड़ा उठ कर मेरी चची को मँह म भर कर चसने लगा.
म िसफ िससकारने लगी- उई ईई आह ईई ईईआ आआह हह मम उह ऊऊई माआआ
आआह उफ आआहह ओहह उफ उफ़ हम
मँह खोल कर म जोर से साँस लेने लगी और एक हाथ से उसके सर को चची पे दबा िदया.
कछ ही पल म मेरी चत म फड़फड़ाहट होने लगी.
मेरी गांड के छेद म सरसरी सी होने लगी, मेरे चतड़ वयं ही िरदम म ऊपर नीचे होने लगे.
म उसके सीने पे हाथ रख कर अपनी गांड उछालने लगी.
सिचन के हाथ मेरी गांड को कस के पकड़े हए थे, वह नीचे से मेरी गांड को उछाल रहा था.
“अहह सस सीसी िससश सरर नहीं अहहह आआहह उहह आईई ऊईई ऊहह अआईईइ
… उईई माँ मर गई … आईई आईई”
मेरी चत और म इतनी चदासी थी िक चतरस भर भर के बह रहा था.
मेरे चदास ने मझको जदी चमोकष पर पंहचा िदया और म भरभरा के उसके सीने पे िगर
पड़ी.
सच कहं तो आज जैसा मज़ा तो मझे अिखल के साथ भी नहीं आया.
इसम कोई शक नहीं िक मेरा पित िबतर म लाज़वाब है पर पराये मद के साथ कछ अलग
ही मज़ा और आनद आता है.
आज मने महसस िकया िक शादी के बाहर सभोग का एक अलग ही नशा होता है. इसे
वही समझ सकता है िजसने इसको भोगा हो.
पर सिचन का लड अभी भी कड़क था और मेरी चत म था.
मझे पता था िक वह एक बार झड़ चका है तो जद झड़ेगा नहीं दसरी बार म
उसने मझे बाँह म भर कर एक बार चमा और धीरे से लड अंदर डाले हए ही मझे पीठ के
बल पलट िदया.
उसने मेरे दोन पैर अपने कंधे पर रखे और थोड़ा लड पीछे खींच कर सटाक से एक शॉट म
मेरी चत म उतार िदया.
म कराह उठी- आआ आआह आमाह हाह आआआ आईई ईई
िफर वह दनादन मेरी चत म शॉट लगाने लगा, िजतनी तेज़ी से लड बाहर खींचता, उतनी
तेजी से वह लड चत म घसा देता.
उसके टटटे मेरे चतड़ पर टकराते तो गांड का छेद भी सरसराने लगता.
म बस ‘आहह ओहह ओहह उहह उम’ कर रही थी.
कमरे म पट पट फच फच की आवाज गँज रही थी.
वासना से भरी हई म िससकार रही थी- उह … अहह … हय … याह … उहऊ
म जोर से चीख रही थी, चत का पानी बहा रही थी.
कई बार झड़ चकी थी म … तो मेरी िहमत जवाब दे रही थी.
अब म कामना कर रही थी िक सिचन जदी से झड़ जाए.
म बोली- सिचन, दद हो रहा है. जदी से आ जाओ. और झटके सहन नहीं कर सकती म
सिचन ने मझे पलट के मेरे चतड़ को चम कर अपना लड पीछे से चत म डाल िदया.
म बस ‘आहह आहह ओहह ममी ओ ममी आअह आअ’ करके रह गई.
मेरी कमर को पकड़ कर सिचन ने अपने जोरदार झटक से मेरे अंग अंग को िहला कर रख
िदया.
मेरा सारा बदन फड़कने लगा, चत बार बार झड़ जाती … पर सिचन डटा रहा.
अचानक सिचन के झटको म तेज़ी आ गई और वह लड बाहर िनकाल कर मेरे ऊपर अपने
हाथ से फ टने लगा.
कछ ही सेके ड म उसके लड से िनकलता वीय मेरे िजम को नहलाने लगा.
मेरे मँह, बाल, चची, िजम म उसके वीय के कतरे फ़ैल गए.
वह बगल म िगर कर गहरी सांस ले रहा था, म उठकर उसके ऊपर लेट कर उससे िचपक
गई.
उसने भी मझे बाँह म भर िलया.
थोड़ी देर म हम दोन सामाय हए तो ेश हए.
और िफर बात करने लगे.
हम दोन ही खश थे.
मेरे अंदर तो जान बची नहीं थी तो म सिचन के जाने के बाद वैसे ही सो गई.
अिखल के फ़ोन बजने के साथ मेरी नींद खली.
तो उसने बताया िक उसको रात को मंबई जाना होगा. उसकी लाइट सबह िदली से है
तो रात को ही िदली चला जायेगा तो उसका बैग पैक कर दँ तीन िदन के िहसाब से
म उठी एक बार और नहा के अिखल के जाने की तैयारी करने लगी.
अब म सोच रही थी मने तो चद के मज़ा ले िलया, अब अलका को अिखल से चदवाना था
यिक ये वादा मने खद िकया था अिखल से
मेरी चत म दद था तो मने एक गोली खा ली कॉफी के साथ
रात आठ बजे अिखल आया तो म तब तक ेश होकर उसके िलए तैयार थी यिक मझे
मालम था वह िबना चोदे तो जायेगा नहीं
अिखल ने आते ही मझे चोदा.
िफर खाना खाकर जाते जाते भी एक िवक चदाई की.
अिखल के जाने के बाद म िबतर पे पड़ी हई थी और िदन की चदाई याद कर रही थी.
सिचन का लड मेरी आँख के सामने से जा ही नहीं रहा था.
चत का तो भोसड़ा बन गया था पर िदल म अरमान अभी था चदने का
तो मने सिचन को कॉल कर िदया उमीद न होने पर भी उसने एक सेके ड म ही फ़ोन उठा
िलया, बोला- म तमको ही याद कर रहा था.
जब उसने उसने सना िक अिखल तो मंबई गया है तो उसने फोन काट िदया और कछ ही
पल म वह दरवाज़े पर था.
मने जब दरवाज़ा खोला तो वह सामने था.
उसने अंदर आकर मझे बाह म भर िलया मने भी उसको अपने से िचपका िलया.
एक बार धआंधार चदाई हई, िफर हम वैसे ही नंग धड़ंग सो गए.
अलका के आने तक हम दोन ने कभी अपने घर म तो कभी उसके घर जम कर चदाई का
खेल खेला.
पर चदाई की यास बढ़ती ही जा रही थी.
बस िदल करता िक सिचन का मोटा लड मेरी चत म हरदम रहे.
िफर उस पर बेक लग गया
अब मेरी बारी थी अलका को चदवाने की अिखल के लंड से
दोतो, म तो चद चकी
अगले भाग म अलका को मने कैसे अिखल से चदवाया, यह म आपको बताऊँगी.
पर आप गप जैसा मत सोच लेना.
हाँ यह बात सही है िक अलका और म एक साथ एक ही िबतर पर चदी पर वह गप सेस
जैसा नहीं था.
म और अिखल दोन ही अलका को अिधक से अिधक मज़ा देना चाहते थे. तो म जब उन
दोन की लाइव चदाई देख कर उेिजत होती थी, बस उसी उतेज़ना को अिखल शांत कर
देता था.
पाठको, आपको इस िरयल चीट वाइफ कहानी म मजा आ रहा होगा.