वाइफ हॉट सेस कहानी म एक भाभी अपने पड़ोस म रहने वाली नविववािहता सहेली के
साथ खल कर सेस की बात करती है। एक रात उसने अपनी सहेली को उसके पित से
चदाई का मजा लेती देखा।
यह कहानी सन .
Wife Hot Sex Kahani
म राहल ीवातव, मंबई से एक बार िफर म आपके सामने हँ एक नई कहानी के साथ
जैसा िक आप जानते ह िक म मल प से लखनऊ का रहने वाला हँ और इस मंच पे काफी
कहािनयां मेरी कािशत हो चकी ह.
म अय कहािनय के कमटस सेशन म भी काफी सिय हँ.
मेरे पास काफी ईमेल आते ह कोई कहानी िलखने को कहता है तो कोई अपनी समयाओं
का समाधान चाहता है.
म सभी को समिचत जवाब दे कर उनको संतट करने की कोिशश करता हँ.
मेरी कहानी यादातर मेरे िनजी अनभव पर आधािरत होती है या मेरे शंसक के ारा
भेजी हई होती है.
मने अभी तक कोई भी कापिनक कहानी नहीं िलखी है.
काफी लोग अपने जीवन के अनभव ईमेल पर भेजते ह. जो मझे इस लायक लगता है िक
इसको आप सब से शेयर कर सकते ह, उसको म कहानी के प म आप सब के सामने लाता
हँ.
ऐसे ही िशखा नाम की लड़की ने अपना एक अनभव मझे ईमेल म भेजा िजसके आधार पर
म यह वाइफ हॉट सेस कहानी आपके साथ शेयर कर रहा हँ.
थोड़ा बहत मसाला मने अपनी कपना के िहसाब से डाला है पर मल वप वही है बस
उनकी सपाट कहानी को थोड़ा कामक बनाने की कोिशश की है.
म इस वाइफ हॉट सेस कहानी की सयता का म कोई आवासन नहीं देता.
यिद आप नए पाठक ह तो आप मेरे नाम पर िलक करके या यहाँ पर मेरी सभी कहािनय
को पढ़ सकते ह.
मेरी िपछली कहानी
मराठी मलगी चद गई होटल म
को पसंद करने के िलए आप सभी का बहत-बहत धयवाद.
कहानी आप िशखा के शद म पिढ़ए.
मेरा नाम िशखा है, म 25 साल की मांसल बंदन की खबसरत शादीशदा औरत हँ. औरत के
िजन अंग को मद और कमिसन लड़के सबसे यादा देखते ह, वे चची और गांड होते ह.
और दोन ही मेरी िजम की जान ह, भरी हई चिचयां और उभरी हई गांड देख के मनचले
सीटी मार देते ह.
मेरे पित अिखल मेिडकल िरेजेटेिटव ह और काफी समय टर पर भी रहते ह पर िजतना
भी समय हम दोन साथ रहते ह, सेस, सभोग का खल के मज़ा लेते ह.
चंिक हमारा पिरवार साथ नहीं रहता तो काफी आज़ादी िमलती है, घर के हर कोने म खल
के चदाई करते ह.
शिनवार और रिववार हम दोन ही कपड़े नहीं पहनते … मतलब नन ही घर म रहते ह.
जब मन चाहा, चदाई कर कर ली.
हमारी शादी को दो साल हए ह और हम दोन ही चदाई के मामले म काफी खले िवचार के
ह.
असर हम लोग दसर को इमैिजन करके भी चदाई करते ह जैसे दध वाला, शॉपकीपर, घर
की सफाई वाली बाई, पड़ोसी इयािद
या िफर रोल ले भी करते ह या ल िफम देख कर वैसा करते ह.
सेसी कहानी भी पढ़ कर भी चदाई करते ह.
आप कह सकते है िक हम दोन िववािहत जीवन की चदाई का भरपर मज़ा ले रहे ह.
यहाँ तक िक मेरे पित मझे खल कर सेसी हरकत के िलए उकसाते भी ह.
पर यह बात हम दोन तक ही सीिमत थी, कभी कछ बाहर टाई नहीं िकया जैसे वाइफ
वैप, थीसम इयािद
हम लोग को आगरा िशट हए एक साल हो चका था.
मेरे कंपाउंड म दो बंगले थे, एक म हम रहते थे और दसरे बंगले म , जो बगल म था, एक
िबकल ही नविववािहत जोड़ा रहने आ गया.
उनका नाम सिचन और अलका था.
लड़की मेरी ही उम की थी पर मेरे से अिधक भरे बदन की और खबसरत थी.
अलका का शरीर 34-28-36 था.
उसका पित सिचनभी काफी मज़बत और लबा चौड़ा मद था, हाइट करीब 5 फट 11 इंच
होगी, वज़न करीब 85 िकलो और चौड़ा सीना और बाल वाला था, गोरा भी बहत था.
वैसे मेरे पित भी काफी शितशाली िजम के मािलक ह और चदाई भी अछी करते ह तो
म संतट सी थी.
दरअसल म हम दोन का मकान मािलक एक ही था, बाहर जाने का गेट भी एक था, बस
दोन मकान के बीच म करीब एक िवभाजक दीवार थी जो दोन मकान को अलग करती थी.
हम सब उस दीवार को फांद कर आसानी से एक दसरे के घर म जा सकते थे.
सिचन िकसी ऑिफस म काम करते थे तो उनके आने जाने का समय िबकल तय था.
अलका काफी छोटे शहर से थी, बला खबसरत होने के साथ साथ ही वह काफी सीधी और
सरल वाभाव की थी.
हम दोन की जदी काफी अछी दोती हो गई.
अलका मझे दीदी और मेरे पित अिखल को जीजाजी कहती थी,.
धीरे धीरे हम दोन की दोती काफी पकी हो गई और हम दोन अपनी सेस लाइफ को
भी आपस म खलकर बात करने लगी.
कई बार अलका संकोच कर जाती थी पर वह भी नए पिरवेश म ढलने लगी थी.
एक िदन उसने बताया िक अिखल को िहकी पीने की आदत है और नशे म रात को काफी
परेशान करते ह.
यह सनकर मझे कछ उसकता सी हो गई यिक हम दोन पित पनी भी कई बार िडंक
कर लेते थे.
तो म कहने लगी िक जरा खल के बताए.
काफी कोिशश के बाद अलका बताने को तैयार हई.
उसने बताया िक वे लाइट जला के चदाई करना पसंद करते ह और उसको बहत शम आती
है तो लाइट नहीं जलने देती. वे रात भर नन ही रखने की कोिशश करते ह.
अलका ने आगे बताया- वे मझको भी िहकी पीने के िलए मज़बर करते ह तािक म भी
उहीं की तरह बेशम होकर चदाई का सख लँ, बेशम बन जाऊं उनके साथ पर मझको तब
तक नींद नहीं आती जब तक म कपड़े नहीं पहन लँ. इस बात पे कई बार दोन म बहस भी
हो जाती है. सिचन को लड चसाने का बहत शौक है, हर रात उसको लड चसने को कहते
ह.
तभी अलका ने कहा- मझको लड चसने म बहत उबकाई आती है, मझे िबकल भी
अछा नहीं लगता है.
उसने साथ म यह भी बताया िक सिचन का लड बहत कड़क और मोटा है और देर तक
चदाई करता है. उसका खलन बहत देर तक नहीं होता. चदाई के दौरान अलका कई बार
झड़ कर थक सी जाती है. मोटाई की वजह से उसको चदाई वत काफी दद होता है और
मज़ा भी कम आता है.
अलका ने बताया- सिचन मेरी बर िबकल नहीं चसते. पर मेरा िदल करता है िक ये मेरी
बर को खब चस .
जबिक मेरे साथ िबकल उटा था, अिखल को लड चसाने से यादा बर चसने म मज़ा
आता था.
मझे जब िलटा कर मेरी टांग को फैला कर ये मेरी चत म अपनी जबान िफराते और िफर
फांक को अपने हठ म दबा कर चसते तो म एकदम से गम हो जाती हँ, मेरा िजम
गनगना कर लड मांगने लगता है.
मने अलका को बोला- वैसे तो अिखल का लड भी काफी कड़क और लबा है पर मोटा
यादा नहीं है. उनको लड चसाने की जगह चत चाटने म यादा मज़ा आता है. अिखल
जब मेरे टांग को खोल कर अपनी मोटी जीभ से मेरी चत की फांक को चसते ह तो मेरा
बदन गम होकर चदाई के िलए मचल उठता है.
उसको मने बताया- अिखल काफी देर तक मेरी चत चसते ह और चत से िनकले रस को
परा चाट जाते ह.
अलका का चेहरा ये सब सन कर लाल सा हो गया.
मझे समझ म आ रहा था िक उसकी चत म खलबली मच चकी है.
ये सब जान कर उसने कहा- िशखा, त िकतनी खशिकमत है िक तेरा पित रोज़ तेरी चत
चसता है. पर सिचन की नज़र म तो चत िसफ लड घसड़ने के काम आती है.
तब म उसको बाँह म भर कर बोली- त िनराश य हो रही है मेरी जान अगर तेरी इछा
हो तो बोल, तेरे जीज से तेरी चत भी चसवा दंगी. आराम से दो तीन घंटे चसवा लेना
अलका बोली- धत दीदी, आप भी ना कछ भी बोल देती हो
मने कहा- अरे, इसम धत या है … तेरे चसने से या उनके चसने या बदल जायेगा पित
तो िफर भी मेरा ही रहेगा ना
मेरा िदल कर रहा था िक सिचन के आगे नंगी बैठ कर मँह खोल ड़ं और बोलं- ला तेरा
लड चस दँ मेरे राजा
पर ये सब अलका के रहते िबकल ये सभव नहीं था.
ये सब तभी सभव था जब अलका वहां ना हो.
तभी म सिचन को पटा सकती थी लड चसने के िलए
पर म पित को धोखा नहीं देना चाहती थी.
तो एक ही राता था िक म अिखल से अलका को चदवा दँ तो मझे सिचन से चदने के िलए
मना नहीं करेगा.
पर कैसे कब
जब से मझे पता चला िक सिचन का लड कड़क लबा और मोटा भी है और देर तक
चदाई करता है, तब से ना जाने य मेरी चत म खलबली सी मच गई थी.
तब से ही म सिचन के लड को देखने के िलए उतावली हो रही थी.
म इसी उधेड़बन म थी.
एक िदन उन दोन ने अपनी शादी के 6 मास परे होने म की ख़शी को सेिलबेट करने का
सोचा.
अलका ने बताया िक सिचन िवदेशी शराब लेकर आया है और उसने कहा है िक परी रात
वह लाइट जला के चदाई करेगा और उसको भी शराब िपलायेगा.
पर अलका तैयार नहीं थी, वो परेशान सी थी.
तो मने उसको समझाया- पित की ख़शी म हम सब की ख़शी है. उसको चदाई म खश
करना हम सब का फ़ज़ है. तह वो सब करना चािहए जो सिचन चाहे
काफी समझाने के बाद अलका भी वो सब करने को तैयार हो गई जो सिचन चाहता था.
तो म उसको पालर ले गई और अछे से तैयार कराया और रात का िडनर भी बाहर से
मंगवा िदया.
अब तो वह बोल रही थी- दीदी, आज म भी काच पीऊँगी और खल के चदँगी और उनका
लड भी चसंगी
पर मेरे िदलोिदमाग म तो अलग ही बात घम रही थी िक कैसे करके इन दोन की चदाई
कैसे देखी जाए यिक उस िदन से ही मेरी तीव इछा थी िक कैसे भी सिचन का लड
देखना है. मझे उसकी बात से लगा िक आज मेरी इछा परी हो सकती है. इससे अछा
मौका िफर नहीं िमलेगा.
पर यह बात म अपने तक ही रखना चाहती थी.
मने अपने शाितर िदमाग को दौड़ाना चाल कर िदया.
हम दोन पालर से आकर जब उसके बैडम म थी तो मने देखा िक एक िखड़की पर कोई
पदा नहीं था पर शीशे पर काले रंग का मोटा कागज़ िचपका था.
साथ ही वह िखड़की पीछे गैलेरी म खलती थी जहाँ तकरीबन अँधेरा ही रहता था.
मेरे िदमाग ने कहा िक शायद म यहाँ से उन दोन की लाइव चदाई देख सकती हँ और इन
दोन को पता भी नहीं चलेगा.
तो मने उसकी िसटकनी नीचे करके हका सा खोल िदया और िफर म घर आ गई.
करीब 6 बजे मने देखा िक सिचन भी आ गया है.
तभी दोन कहीं घमने चले गए. िफर रात 9 बजे दोन लौटे .
दोन काफी खश िदख रहे थे.
इधर अिखल के बॉस आये थे तो मझे पता था िक वे करीब आधी रात तक घर आएंगे. तो म
कम से कम एक राउंड चदाई तो देख ही सकती हँ.
और जब अिखल घर आएंगे तो उनसे अपनी चदाई भी करवा लंगी.
करीब 10 बजे उसके बैडम की लाइट छोड़ कर सारे घर की लाइट बंद हो गई.
तो म समझ गई िक वे दोन अब चदाई की तैयारी म हगे.
िफर भी मने थोड़ा और इंतज़ार िकया और एक काले रंग का टीशट और एक काला लोअर
पहन िलया िजससे अंधेर म कोई देख न सके .
और म उसी िखड़की के पास आकर खड़ी हो गई.
अंदर खब उजाला था और बाहर िबकल अँधेरा
मने देखा िक दोन का चदाई ोगाम श हो गया था.
अलका तो पालर से तैयार हो कर ही आई थी और काफी संदर िदख रही थी.
पर उसकी साड़ी और लाउज़ उतर चका था लाल लेस वाली बा और लाल पेटीकोट उसके
गोरे िजम पर अछा लग रहा था.
सिचन वी शेप की अंडरिवयर म था और आगे से उसम उसके कड़क लड का उभार अछे
से िदख रहा था.
बाल से भरी उसकी चौड़ी छाती और बाँह के मसल अलग से चमक रहे थे.
कमरे म भरपर उजाला था और म अँधेरे म िखड़की से थोड़ा दर खड़ी थी, िखड़की की दरार
से सब कछ साफ िदखाई और उनकी बातचीत भी हकी हकी सनाई दे रही थी.
सिचन ने अपनी पनी को अपनी गोद म बैठा िलया और उसके हठ चसने लगा.
इधर अलका भी वासना म डब के उससे िचपक गई, वह भी सिचन का साथ देने लगी.
काफी देर तक सिचन उसको िकस करता रहा, कभी हठ तो कभी कान तो कभी गदन
अलका हर िकस पर मचल जाती उसकी मँह से िससकारी िनकलती- अहहह उफ
िफर सिचन ने हाथ पीछे ले जा कर उसकी बा का हक खोल िदया.
बा को िनकल कर एक तरफ फक िदया.
अलका की भरी भरी चिचयां एकदम से बाहर आ गई.
सिचन के हाथ चिचय को मसलने लगे.
अलका- उफ सिचन, धीरे से दबाओ. दद होता है … आअह हहह उईई इईई अहह आहहह
ऊईई सीईई अआ ईईइ उईई
काफी देर तक सिचन िकस करता रहा और चिचय को मसलता रहा.
इधर मेरे िदल म सिचन का लड देखने की तड़प बढ़ती ही जा रही थी. मझे अलका पर
गसा भी आ रहा था िक वह सिचन को नन य नहीं कर रही है.
इस बीच सिचन ने पेटीकोट भी िनकाल के फक िदया.
अलका उसकी बाँह म मचल रही थी, उसके पैर भी मचल रहे थे.
उसके हाथ अब सिचन के लड को जॉकी के साथ ही सहलाने लगे, मसलने लगे.
दोन ही कामातर थे.
तभी उसने अलका की पटी उतार कर उसकी चत म उंगली डाल दी.
तो अलका िचहंक सी गई- उफ फ़ आहह हहहह माँ आईई आआ आहह आईईइ म
सिचन और तेजी से उंगली को अंदर बाहर करने लगा.
अलका की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, उसका िजम मचल रहा था. उसके हाथ चादर को
जोर से जकड़ रहे थे.
तभी सिचन ने दसरी उंगली भी उसकी चत म डाल दी.
अलका- अआआ … हहहह … अ..अ … ओय … दद हो रहा है … धीरे … कर … ना …
अआआ … हहहह … अब बस कर … अआआ … हहहह … सिचन … अआआ
आआ..हह
तभी अलका एक तेज चीख के साथ थोड़ी ऊपर उठी और धड़ाम से िबतर पर िगर कर
लबी लबी सांस लेने लगी.
उसका हाल देख कर सिचन क गया और चत से उंगली िनकाल ली.