माँ-बेटे का खास रिश्ता

हैलो दोस्तों। मेरा नाम आयुष है। मैं 28 साल का हूँ। मेरा घर पटना में राजीव नगर कॉलोनी में है। मेरे पापा एक सरकारी अधिकारी है, और माँ हाउसवाइफ है। हम दो भाई और तीन बहन है। दो बहन हमसे बड़ी है। एक की उम्र 32 साल है और दूसरी की 29 साल। एक छोटी बहन है, जिसकी उम्र 26 साल है। माँ की उम्र 47 साल है।
शुरुआत माँ से करे तो माँ बिल्कुल भी 47 साल की नहीं लगती। मेरी माँ इतनी गोरी और हसीन है, कि सामने से कोई उसे ब्लाउज और पेटीकोट में देख ले तो बिना लंड हिलाये नहीं रह सकता। बड़ी-बड़ी आँखे, गोरा बदन, सुराहीदार क्लीवेज और बड़े ही सुडोल और मोटे चूचे है उनके।
फिर पतली कमर जिसमे एक गहरी नाभि है, एक विशाल सी गांड, और मोटी-मोटी जांघे है। मेरी माँ की जवानी के सामने बहने सब पानी काम चाय थी। अगर माँ के बूब्स पर या गांड पर कभी नजर पर जाती, तो मुठ मरने के अलावा कोई चारा नहीं था।
मैं जब से जवान हुआ हूँ, यानी जब से मुठ मरना चालू किया है, तब से मेरी नजर माँ पर थी। माँ को लगता था मैं बच्चा हूँ, तो मुझे माँ नहलाया करती थी, और साथ में खुद भी नहाती थी। जब उसके मुलायम-मुलायम हाथ मेरे जिस्म पे पड़ते थे, मेरे बदन में करंट दौड़ जाता था।
जब वो झुक कर मेरे पैरों पे साबुन लगाती थी, तो उसके बूब्स जो ब्लाउज से निकलने को बेताब रहते थे, को मैं दबी आँखों से निहारता था। तब माँ मेरा पहला crush थी। फिर मैं पढ़ने के लिए बाहर चला गया, पर मेरी यादों ने माँ की मस्त जवानी उसके बूब्स और गांड को मानो अपनी आँखों में कैद कर लिया।



जब मैं बाहर पढ़ने गया, तब भी जब-जब मुझे मुठ मारने का मन करता या यूं कहे, डेली ही मैं रात को Desikahani पर माँ बेटे की चुदाई की कहानी पढ़ता, और माँ की जवानी को महसूस करके मुठ मारता था। बाद में मुझे बुरा भी महसूस होता, पर रोज़ माँ को सोच करके ही मुठ मारता था। क्यूंकी जब-जब भी आँखे बंद करता तो माँ की बड़ी-बड़ी चूचियां और गांड सामने आ जाती थी।
धीरे-धीरे समय गुजरता गया। मुझमे माँ को चोदने की तलब बढ़ती गयी। जब भी मौका मिलता छुट्टी में, तो घर चला जाता था, और जाते वक़्त खूब उत्साहित रहता था कि माँ की मस्त चूचियां और गांड को करीब से देख के मुठ मारने का मौका मिलेगा। पर अब मैं जवान हो गया था।
तो माँ भी मुझसे दूरी रखने लगी थी। तो मैं सिर्फ आँखे ही सेक पाता था। जब माँ को छूने की इच्छा करती, तो माँ को बोलता था कि “माँ, मेरा बदन दर्द हो रहा है”। तो माँ गरम तेल से पूरे बदन पर मालिश कर देती थी। उस समय जब वो मालिश करती थी, तो माँ के दोनों बूब्स उछलते थे।
उसके 10 इंच गहरी क्लीवेज देख कर मन करता हाथ डाल दूँ। पर डर लगता था। अपने ही बाप से मुझे अब जलन होने लगी थी। साला कितना किस्मत वाला है जो इतनी हसीं जवानी का मालिक है। माँ को चोदने का बहुत मन करता पर कभी हिम्मत नहीं हुई माँ से पूछने की।
एक बार मैंने प्लान बनाया माँ को अपना लौड़ा दिखाने की। तो वैसे तो मैं लुंगी में अंडरवियर पहनता हूं, पर उस दिन रात को बिना लुंगी पहने ही सोया और सुबह जब माँ उठाने आयी, उस वक़्त मैंने माँ के बारे में सोच कर अपना लंड खड़ा करके लुंगी हटा दी, और मोबाइल पे वीडियो रिकार्डिंग ऑन कर दी, ताकि माँ का रिएक्शन रिकॉर्ड कर सकूं।
जब माँ आयी तो कुछ पल के लिए वो मेरे लौड़े को देखी। फिर लुंगी ऊपर करके उठायी। मैं तो सोने की एक्टिंग कर रहा था, तो मैं थोड़ा नाटक करके उठ गया, और माँ को प्रणाम किया। फिर लुंगी ठीक करके उठ गया, पर इससे कुछ खासा काम नहीं बन पाया। और मेरी हिम्मत भी नहीं हुई कि माँ से पुछूं कि आप मेरे लौड़े को क्यों निहार रही थी।
पर मेरा थोड़ा कॉन्फिडेन्स बढ़ा कि चलो मेरी माँ ने मेरे लौड़े को निहारा तो। फिर मैंने एक दो बार और ऐसा किया, तो एक दिन मम्मी ने बोल ही दिया-
माँ: बेटा तुम लुंगी पहन कर मत सोया करो, ट्रॉऊज़र पहन लिया करो।
तो मैंने माँ से पूछा: क्या हुआ, ऐसा क्यों बोल रही है आप?
तो वो बोली: नींद में लुंगी इधर-उधर हो जाती है। अभी तुझे एक्सपीरिएंस नहीं है ना लुंगी पहनने का।
घर पे सिर्फ मैं और माँ थे, तो मेरा मन बिल्कुल बेताब हो रहा था। मन करता था कि साली को पटक के चोद दूँ। पर हिम्मत नहीं हो पाती थी। तो जब माँ पोछा लगा रही होती, तो मैं उसके बूब्स के अन्दर झांकने की कोशिश करता।
एक दो बार माँ ने मुझे घूरते हुए देख भी लिया था, पर कोई रिएक्शन नहीं दिया। और इसी वजह से मेरी गांड फटी रहती थी, कि पता नहीं क्या चाहती थी साली। वो ना कुछ बोलती थी, ना कोई सिगनल देती थी। पर उस समय मुझमे उतनी समझ नहीं थी कि समझ पता कि पहल मुझे ही करनी पड़नी थी।
तो दोस्तों आप लोग भी अगर काफी दिनों से सिर्फ माँ को चोदने के सपने ही देख रहे है, तो आपको भी अपनी हिम्मत को बढ़ा कर आगे के स्टेप लेने पड़ेंगे। सिर्फ सोचते रहेंगे तो माँ की जवानी का रस पीने से दूर हो जाएंगे। जब माँ नहा के निकलती थी बाथरूम से, तो मैं घुस जाता था, और वह उनकी ब्रा और पैंटी लेकर उसकी खुशबु लेता था।
खास कर पैंटी में से जो खुशबु आती थी, वो सूंघ कर मजा आ जाता था। फिर मैं अपने 8 इंच के लौड़े को माँ की पैंटी पे रगड़ता और मुठ मार कर सारा माल पैंटी में ही छोड़ कर आ जाता था। पर माँ मुझे कुछ नहीं बोलती थी, ना डांटती थी, और ना ही कुछ पूछती थी।
फिर मैंने जान बूझ कर मम्मी के रूम की ऐ.सी. की तार काट दी। गर्मी का टाइम था, तो मम्मी मुझे बोली ठीक करने को।
तो मैंने माँ से कहा:ये तो कल ही हो पायेगा। आप आज मेरे कमरे में सो जाओ।
तो माँ बोली: ठीक है, कल ठीक करवा दियो


फिर थोड़ी देर में माँ लाल नाईटी पहन कर आयी सोने के लिए। नाईटी में माँ ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी, तो उसके बूब्स अलग ही आकर्षक लग रहे थे। मन तो कर रहा था, कि साली की नाईटी को फाड़ कर उसकी चूचियों को मसल दूँ, और दोनों टाँगे उठा कर साली की चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ कर पुछूं “बोल साली मेरे बाप से मेरा बड़ा है कि नहीं?”
पर सोचने में और करने में बहुत फ़र्क़ होता है। यार क्या बताऊं, दो घण्टे तक इसी उधेड़-बुन में लगा रहा कि क्या करूं। फिर जब माँ गहरी नींद में सो गयी, तब जाकर मैंने अपने लौड़े को बाहर निकला, और उसे देख कर मुठ मारने लगा। थोड़ा सा उसके बूब्स को दबाया, पर डर से गांड फटी थी कि अगर उठ गयी तो क्या होगा।
अगले पार्ट में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने माँ एवं पिता जी की चुदाई देखी, और कैसे माँ के बूब्स को दबाया, और माँ को चोदने के लिए क्या प्लान बनाया। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है, तो जो भी लोग अपनी माँ को चोदने के सपने देखते है, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
मर्द और औरत के बीच एक ही रिश्ता होता है, और वो मर्द और औरत एक दूसरे को संतुष्ट कर सकते है। तो अगर आप भी अपनी माँ को चोदना चाहते है, तो बिल्कुल कोशिश करनी चाहिए। बस जबरदस्ती नहीं करनी है, प्यार से मानना है। और एक टाइम ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपनी माँ को चोदने का मौका मिलेगा।
तो मुझे कैसे अपनी माँ को चोदने का मौका मिला, और अभी हमारी लाइफ कितनी खूबसूरत है, को जानने के लिए आपको मेरी इस कहानी को ढेर सारा प्यार देना है। और मैं दिल से कामना करता हूँ, कि जो भी अपनी माँ की जवानी का रस पीना चाहते है, उन्हें ये मौका जरूर मिले। धन्यवाद।



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